Monika garg

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लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-2)

गतांक से आगे:-


अब तो ढोलक उसके कलेजे पर बज रही थी ।बजती भी क्यूं नहीं आज उसकी सास उसके पति विशम्बर की दूसरी शादी जो कर रही थी।

चंदा को तो ये कह कर घर से निकाल दिया था कि एक ही बेटा है अगर ये बच्चा जन कर नहीं देगी तो क्या हम निरवंशी ही मर जाएं गे।नहीं वो कभी ऐसा नहीं होने देंगी।उसके जीते जी उसका बेटा बेऔलाद नहीं रह सकता। आज सात साल का उसका गृहस्थ दांव पर लगा दिया था उसकी सास ने।

प्यार तो कभी भी नहीं किया था चंदा से विशम्बर ने ।बस एक समझौता ही था।चंदा के पिता किसी समय अपने गांव के बड़े जमींदार थे । बड़ी हवेली ,पूरे ठाठ बाट पर अंदर की बात का किसे पता कि ये बड़े ठाठ सिर्फ दिखावा भर थे उनके ,बाल बाल कर्जे में डूबा था। विशम्बर के पिता जब चंदा को देखने आए तो घर जाकर विशम्बर की मां से कहा था,"भाग्यवान! मैं तो चाहता हूं चट मंगनी पट ब्याह हो जाए तो अच्छा है ।लड़की बड़ा भारी दहेज लायेगी मैं स्वयं उनके ठाठ-बाट अपनी आंखों से देखकर आ रहा हूं।"

विशम्बर की मां एक नम्बर की लालची औरत थी वह तो सपने ही देखने लगी।उसने तो मन ही मन हिसाब भी लगा लिया कि कितने सोने के गहने लायें गी और कितना नगदी। विशम्बर को कोई काम  तो था नहीं बस चकडोर बना सारे गांव में घूमता रहता अव्वल दर्जे का अय्याश था ।कभी किसी बहू का घूंघट उठा देता तो कभी किसी गांव की रिश्ते में लगती भाभी की कमर पर चिकोटी काट लेता ।सब मुंह पर तो हंस कर टाल देती थी लेकिन पीठ पीछे सब मुंह बिचकाती ,"पता नहीं कहां से कलमुहा आ गया ।राक्षस है राक्षस।"

विशम्बर भी ही ही कर के हंसता हुआ आगे निकल जाता ।पिता की जागीरदारी का रौब सब पर झाड़ता था।

चंदा जब इस घर में ब्याह कर आई थी तब पिता ने यथा सामर्थ्य दहेज दिया पर लालची राक्षसों का मुंह कहां भरने वाला था ।हर रोज उसे दहेज के लिए ताने मिलते थे।बाकी की कसर बच्चा ना होने ने पूरी कर दी। नर्क से भी बद्तर ज़िंदगी हो गई थी चंदा की ।

पर हाय रे! औरत का दिल जिस पति से केवल दुत्कार और मार ही मिली आज उसी की शादी के गीत चंदा के कानों में पिघले हुए सीसे की तरह भर रहे थे।

कहते हैं औरत अपना सब कुछ बांट सकती है पर किसी के साथ अपना पति नहीं बांट सकती।

चंदा की शादी के बाद पीहर में ऐसा जलजला आया कि तिनके की तरह सब बहा कर ले गया ।हवेली नीलाम हो गयी ।बेचारी की मां तो बचपन में ही गुजर गयी थी पिता पुश्तैनी हवेली के बिकने के सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सके वो भी चल बसे।छोटा भाई भी चेचक की चपेट में आ गया था वो भी नहीं रहा ।मतलब अब चंदा के पीहर के नाम पर भी कुछ नहीं बचा।अब ससुराल ही उसका सब कुछ था लेकिन आज से पंद्रह दिन पहले ससुराल से भी धक्के मिल गये ।वो तो चचिया सास ने अपने यहां आसरा दे दिया वो भी एक किस्म का ससुराल ही तो था चंदा का अपने मन को समझा कर वह बड़े भारी मन से चाची सास के साथ उनके घर चली गयी ।आजकल कौन ऐसे ही अपने घर में किसी को रखता है उसका खर्चा उठाता है । विशम्बर की चाची गठिया की मरीज थी ।पूरी सर्दी खाट से उठ भी नहीं पाती थी फिर घर का चौका बर्तन, झाड़ू कौन करता ।पूरी सर्दी घर में कीड़े चलने को हो जाते थे इसलिए विशम्बर की चाची चंदा को अपने साथ घर ले आई थी और नहीं तो मुफ्त में एक भरोसेमंद काम करने वाली तो मिल ही गई थी । विशम्बर और उसके चाचा के लड़के में छ महीने का ही अंतर था ।जब चंदा की उस घर में बेकद्री होती तो उसकी चचिया सास अड़ोस-पड़ोस की औरतों को कहती," देखो । कैसी देवी जैसी बहू की ऐसी हालत कर दी इन लोगों में अगर मेरे जगमोहन(विशम्बर के चाचा का लड़का) के ऐसी बहूरिया आ जाती तो मैं गंगा नहाय जाती।"

पर फिर भी उसके मन के किसी कौने में चंदा के लिए टीस उठती थी जब उसे ये लोग मारते पीटते थे।

एक दिन तो हद ही हो गई विशम्बर शुरू से ही बददिमाग लड़का था एक दिन आंगन की कच्ची मिट्टी पर डंडी से सुअर की आकृति बना कर बोला," ओ री चंदा ! देख तेरा बाप आ गया है जा जाकर पैखाने से गन्दगी लाकर इसके आगे रख दें।"

जब चंदा ने ये आकृति देखी और विशम्बर की बात सुनी तो उसे बहुत बुरा लगा उसने बस इतना ही कहा "वो आप के ससुर लगते हैं आप को ये बातें शोभा नहीं देती ।"

बस फिर क्या था आंगन में एक लठ्ठ पड़ा था उसे उठाकर विशम्बर ने चंदा की इतनी पिटाई कर दी कि उसके नाक ,कान मुंह सब जगह से खून के फव्वारे निकलने लगे।लोग तमाशा देख रहे थे उन्होंने बीच बचाव करके चंदा की डाक्टर से मरहम पट्टी करवाई।


चंदा बीच बीच में साथ वाले घर से आ रहे गीतों को सुन रही थी जब दुःख बर्दाश्त से बाहर हो गया तो खुद भी पागलों की तरह रोते हुए बन्ने गाने लगी।

"बन्ना तो मेरा सरद पूनम का चांद रे……


विशम्बर की शादी आखिर किसके साथ हो रही है और क्या चंदा नयी बहू को देख सकेगी ये सब अगले भाग में।

(क्रमशः)



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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

15-Aug-2023 12:49 PM

Nice

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Irfan

18-Jun-2023 10:51 AM

Nice

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Alka jain

24-May-2023 07:38 AM

बहुत खूब

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